करौली. राजस्थान के करौली जिले का एक छोटे सा गांव है- कल्लदेह। इसे कुछ लोग कल्लदेह बस्ती भी कहते हैं। करौली शहर से करीब चार किलोमीटर दूर इस बस्ती में कार से पहुंचना मुश्किल है। यहां पहुंचने के लिए भद्रावती नदी पार करनी होती है। यह गांव शहरी सुविधाओं से भी दूर है। कुल 5 से 6 छप्पर वाले घर हैं और इन्हीं में से एक मुकेश का घर भी है। उसका छप्परनुमा घर नदी के किनारे बना है, जो अब बंद ही रहता है। कभी यहां उसकी मां कल्याणी रहती थी, जो बेटे की करतूत के बाद गांव छोड़कर जा चुकी है। आसपास भी कोई घर नहीं है। करीब 100 से 150 मीटर दूर एक दूसरा छप्पर वाला घर मिलता है, यहां कुछ लोग रहते हैं। जब हमने इन लोगों से बात की तो जवाब मिला, हम अपनी जुबान पर उसका नाम भी नहीं लेना चाहते।
'वो तो बचपन में ही चला गया था, लेकिन उसकी हैवानियत ने शर्मसार कर दिया'
कल्लादेह बस्ती के लोगों का कहना है कि आरोपी बचपन में ही यहां से चला गया था, लेकिन क्योंकि उसका जन्म यहीं हुथा था, इस कारण हमें भी शर्मसार होना पड़ता है। उसकी हैवानियत ने इस बस्ती के साथ-साथ पूरे करौली जिले को शर्मसार कर दिया। कुकर्म करने वालों को फांसी की सजा होना कानून और न्याय की जीत है। उसे तो फांसी हो गई लेकिन पता नहीं हमारी बस्ती और करौली जिले पर लगा यह दाग अब कभी धुल पाएगा या नहीं।
दिल्ली आती-जाती रहती थी मां
बस्ती से बाहर आने पर आसपास के गांव के लोग भी मुकेश के बारे में जानकारी रखते हैं। लोगों ने बताया कि मुकेश की शादी नहीं हुई थी। वह अपने तीन भाइयों के साथ दिल्ली में ही रहता था। उसकी मां कल्याणी जरूर बस्ती से दिल्ली आती-जाती रहती थी, लेकिन मुकेश के पिता की मौत के बाद वह गांव में ही रहने लगीं थी। मुकेश की उस करतूत के बाद वह भी हमेशा के लिए दिल्ली चली गईं।
मुकेश का बड़ा भाई राम सिंह भी निर्भया केस का मुख्य दोषी था। दोनों साथ में ही दिल्ली में रहते थे। राम सिंह ड्राइवर था और मुकेश खलासी का काम करता था। राम सिंह की पत्नी की मौत होने के बाद वो शराब पीने का आदी हो गया था। दोषी राम सिंह ने ट्रायल के दौरान ही तिहाड़ जेल में फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।